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"सस्ता सौदा / व्लदीमिर मयकोव्स्की" के अवतरणों में अंतर

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चलाने लगता हूँ जब
 
चलाने लगता हूँ जब
किसी औरत से प्‍यार का चक्‍कर
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किसी औरत से प्यार का चक्कर
 
या महज देखने लगता हूँ राहगीरों की तरफ़...
 
या महज देखने लगता हूँ राहगीरों की तरफ़...
 
हर कोई सँभालने लगता है अपनी जेबें ।
 
हर कोई सँभालने लगता है अपनी जेबें ।
कितना हास्‍यास्‍पद !
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कितना हास्यास्पद !
 
अरे रंकों के यहाँ भी
 
अरे रंकों के यहाँ भी
कोई डाका डाल सकता है क्‍या ?
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कोई डाका डाल सकता है क्या ?
 
बीत चुके होंगे न जाने कितने वर्ष
 
बीत चुके होंगे न जाने कितने वर्ष
 
जब मालूम होगा --
 
जब मालूम होगा --
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मैं
 
मैं
 
कम नहीं था धनी
 
कम नहीं था धनी
किसी भी प्‍येरपोंट मोरगन की तुलना में ।
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किसी भी प्येरपोंट मोरगन की तुलना में ।
 
न जाने कितने वर्षों बाद
 
न जाने कितने वर्षों बाद
 
रह नहीं पाऊँगा जीवित जब
 
रह नहीं पाऊँगा जीवित जब
 
दम तोड़ दूँगा भूख के मारे
 
दम तोड़ दूँगा भूख के मारे
या पिस्‍तौल का निशाना बन कर --
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या पिस्तौल का निशाना बन कर --
 
आज के मुझ उजड्ड को
 
आज के मुझ उजड्ड को
अन्तिम शब्‍द तक याद करेंगे प्राध्‍यापक --
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अन्तिम शब्द तक याद करेंगे प्राध्यापक --
 
कब ?
 
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कहाँ ?
 
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कैसे अवतरित हुआ ?
 
कैसे अवतरित हुआ ?
साहित्‍य विभाग का कोई महामूर्ख
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साहित्य विभाग का कोई महामूर्ख
 
बकवास करता फिरेगा भगवान-शैतान के विषय में ।
 
बकवास करता फिरेगा भगवान-शैतान के विषय में ।
 
झुकेगी
 
झुकेगी
चापलूस और घमंडी भीड़ :
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पहचानना मुश्किल हो जायेगा उसे :
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पहचानना मुश्किल हो जाएगा उसे :
मैं-मैं ही हूँ क्‍या :
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मैं-मैं ही हूँ क्या :
कुछ-न-कुछ वह अवश्‍य ही खोज निकालेगी
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कुछ-न-कुछ वह अवश्य ही खोज निकालेगी
 
मेरी गंजी खोपड़ी पर
 
मेरी गंजी खोपड़ी पर
 
सींग या प्रभामण्डल जैसी कोई चीज़ ।
 
सींग या प्रभामण्डल जैसी कोई चीज़ ।
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और मेरी अमरता
 
और मेरी अमरता
 
शताब्दियों में से उद्घोष करती
 
शताब्दियों में से उद्घोष करती
एकत्र करेगी दुनिया भर के मेरे प्रशंसक --
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एकत्र करेगी दुनिया भर के मेरे प्रशंसक
चाहिए क्‍या तुम्‍हें यह सब कुछ ?
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चाहिए क्‍या तुम्हें यह सब कुछ ?
 
अभी देता हूँ
 
अभी देता हूँ
मात्र एक स्‍नेहपूर्ण मानवीय शब्‍द के बदले में ।
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मात्र एक स्‍नेहपूर्ण मानवीय शब्द के बदले में ।
  
 
लोगो !
 
लोगो !
 
खेत और राजपथ रौंदते हुए !
 
खेत और राजपथ रौंदते हुए !
चले आओ दुनिया के हर हिस्‍से से ।
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चले आओ दुनिया के हर हिस्से से ।
 
आज
 
आज
पेत्रोग्राद, नाद्योझिन्‍सकाया में
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पेत्रोग्राद, नाद्योझिन्सकाया में
बिक रहा है एक अमूल्‍य मुकुट
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बिक रहा है एक अमूल्य मुकुट
दाम है जिसका मात्र एक मानवीय शब्‍द
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दाम है जिसका मात्र एक मानवीय शब्द
  
सच्‍च, सौदा सस्‍ता है ना ?
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सच्च, सौदा सस्ता है ना ?
 
पर कोशिश तो करो
 
पर कोशिश तो करो
मिलता भी है कि नहीं --
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मिलता भी है कि नहीं
वह एक शब्‍द मानवीय ।
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वह एक शब्द मानवीय।
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'''मूल रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह'''
 
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20:48, 10 नवम्बर 2017 का अवतरण

चलाने लगता हूँ जब
किसी औरत से प्यार का चक्कर
या महज देखने लगता हूँ राहगीरों की तरफ़...
हर कोई सँभालने लगता है अपनी जेबें ।
कितना हास्यास्पद !
अरे रंकों के यहाँ भी
कोई डाका डाल सकता है क्या ?
बीत चुके होंगे न जाने कितने वर्ष
जब मालूम होगा --
शिनाख्त के लिए शव-गृह में पड़ा हुआ
मैं
कम नहीं था धनी
किसी भी प्येरपोंट मोरगन की तुलना में ।
न जाने कितने वर्षों बाद
रह नहीं पाऊँगा जीवित जब
दम तोड़ दूँगा भूख के मारे
या पिस्तौल का निशाना बन कर --
आज के मुझ उजड्ड को
अन्तिम शब्द तक याद करेंगे प्राध्यापक --
कब ?
कहाँ ?
कैसे अवतरित हुआ ?
साहित्य विभाग का कोई महामूर्ख
बकवास करता फिरेगा भगवान-शैतान के विषय में ।
झुकेगी
चापलूस और घमण्डी भीड़ :
पहचानना मुश्किल हो जाएगा उसे :
मैं-मैं ही हूँ क्या :
कुछ-न-कुछ वह अवश्य ही खोज निकालेगी
मेरी गंजी खोपड़ी पर
सींग या प्रभामण्डल जैसी कोई चीज़ ।
हर छात्रा
लेटने से पहले
होती रहेगी मंत्रमुग्‍ध मेरी कविताओं पर ।
मालूम है मुझ निराशावादी को
सदा-सदा रहेगी कोई-न-कोई छात्रा इस धरा पर ।
तो सुनो!
मापो उन सभी सम्पदाओं को
जिनका मालिक है मेरा हदय
महानताएँ
अलंकार हैं अमरत्व की ओर बढ़ते मेरे क़दमों की,
और मेरी अमरता
शताब्दियों में से उद्घोष करती
एकत्र करेगी दुनिया भर के मेरे प्रशंसक —
चाहिए क्‍या तुम्हें यह सब कुछ ?
अभी देता हूँ
मात्र एक स्‍नेहपूर्ण मानवीय शब्द के बदले में ।

लोगो !
खेत और राजपथ रौंदते हुए !
चले आओ दुनिया के हर हिस्से से ।
आज
पेत्रोग्राद, नाद्योझिन्सकाया में
बिक रहा है एक अमूल्य मुकुट
दाम है जिसका मात्र एक मानवीय शब्द ।

सच्च, सौदा सस्ता है ना ?
पर कोशिश तो करो
मिलता भी है कि नहीं —
वह एक शब्द मानवीय।

मूल रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह