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15:04, 12 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
हावा आउँछ
र सुस्तरी छुन्छ घण्टीलाई
घण्टी थरर्र काँप्छ
स्पर्शले, मीठो स्पर्शले
मायालु स्पर्शले
र मीठो गरी बज्छ
म चाहन्छु मेरो देश पनि यस्तै होस्
मीठो गरी बजोस्
देशबासीको स्पर्शले
तर घण्टी
प्रहारले फुट्छ, रगताम्मे हुन्छ
आवाज जो मीठो गरी बज्नु पर्ने हो
रगतमा मुछिएर लाटो हुन्छ
आँसु जस्तै
तप्प- तप्प चुहुन्छ
रगताम्मे भएर
आवाज- मेरो देशको आवाज