भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दुःख / विल्हेम इकेलुन्द" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= विल्हेम इकेलुन्द |संग्रह= }} <Poem> कि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
}} | }} | ||
<Poem> | <Poem> | ||
− | किनारों पर उजाड़ | + | किनारों पर उजाड़ पहाड़ियाँ |
उदास रात को कर देती हैं और काला, | उदास रात को कर देती हैं और काला, | ||
− | धूसर और घटाटोप | + | धूसर और घटाटोप साँझ से |
निकलता है एक कालीन चमकीले रंगों वाला. | निकलता है एक कालीन चमकीले रंगों वाला. | ||
09:54, 13 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण
किनारों पर उजाड़ पहाड़ियाँ
उदास रात को कर देती हैं और काला,
धूसर और घटाटोप साँझ से
निकलता है एक कालीन चमकीले रंगों वाला.
एक रूदन, एक मौन सिसकी,
जैसे स्पंदन हो समंदर में -
बहुत थके हुए और लड़खड़ाते हुए है गिरता
वह चुपचाप अपनी कब्र में.
(मूल स्वीडिश से अनुवाद : अनुपमा पाठक)