भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"संस्कृतम् सदा सेवनीयम् / सत्यनारायण पांडेय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
छो (Anupama Pathak ने संस्कृम् सदा सेवनीयम् / सत्यनारायण पांडेय पृष्ठ [[संस्कृतम् सदा सेवनीयम् / सत्यनारायण...) |
|||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
{{KKCatSanskritRachna}} | {{KKCatSanskritRachna}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | + | संस्कृतम् सर्वदा सेवनीयं जनैः | |
− | + | संस्कृतैव सन्निहितास्माकं संस्कृतिः | |
− | + | संस्कृतम् बिना संस्कृतिर्नैव नः स्यात् | |
− | अतः | + | अतः संस्कृतम् रक्षणीयं प्रयत्नतः। |
− | + | वेदादिप्राचीनग्रन्थादिकम् | |
− | + | उपनिषदाः, पुराणादिकम् | |
− | + | रामायणमहाभारतादिकमपि | |
− | + | संस्कृते सन्निहिता गुम्फिता | |
− | + | नीतिनिर्धारकं मनुस्मृत्यादिकम् | |
− | + | षोडशसंस्कारादिकृत्याः | |
संस्कृतैव सम्पादितम् | संस्कृतैव सम्पादितम् | ||
− | अतः | + | अतः संस्कृतम् सदा सेवनीयं जनैः। |
− | + | कालिदासस्य भारवेः माघस्य वा | |
− | + | काव्यानि संस्कृतैव सन्निहिताः | |
− | + | अतोसंस्कृतज्ञानं बिना तेषां | |
रसास्वादनं कथं स्यात् | रसास्वादनं कथं स्यात् | ||
− | अतः | + | अतः संस्कृतम् सदा सेवनीयं जनैः। |
− | + | संस्कृतस्य प्रभावात्सदा सम्पदम् | |
− | यत्र कुत्राऽपि नगरे ग्रामे | + | यत्र कुत्राऽपि नगरे ग्रामे वा |
− | वा | + | संस्कृतम् बिना जीवनं कथं भो! |
− | + | जीवनं तु संस्कृतम्, श्वसनं संस्कृतम् | |
− | अतः | + | अतः संस्कृतम् सदा सेवनीयं जनैः। |
</poem> | </poem> |
16:10, 14 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण
संस्कृतम् सर्वदा सेवनीयं जनैः
संस्कृतैव सन्निहितास्माकं संस्कृतिः
संस्कृतम् बिना संस्कृतिर्नैव नः स्यात्
अतः संस्कृतम् रक्षणीयं प्रयत्नतः।
वेदादिप्राचीनग्रन्थादिकम्
उपनिषदाः, पुराणादिकम्
रामायणमहाभारतादिकमपि
संस्कृते सन्निहिता गुम्फिता
नीतिनिर्धारकं मनुस्मृत्यादिकम्
षोडशसंस्कारादिकृत्याः
संस्कृतैव सम्पादितम्
अतः संस्कृतम् सदा सेवनीयं जनैः।
कालिदासस्य भारवेः माघस्य वा
काव्यानि संस्कृतैव सन्निहिताः
अतोसंस्कृतज्ञानं बिना तेषां
रसास्वादनं कथं स्यात्
अतः संस्कृतम् सदा सेवनीयं जनैः।
संस्कृतस्य प्रभावात्सदा सम्पदम्
यत्र कुत्राऽपि नगरे ग्रामे वा
संस्कृतम् बिना जीवनं कथं भो!
जीवनं तु संस्कृतम्, श्वसनं संस्कृतम्
अतः संस्कृतम् सदा सेवनीयं जनैः।