भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"खूब नारे उछाले गए / लक्ष्मीशंकर वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(लक्ष्मीशंकर जी की ग़ज़ल)
 
पंक्ति 22: पंक्ति 22:
  
 
इक ज़रा सी मुलाक़ात के
 
इक ज़रा सी मुलाक़ात के
कितने मतलब निकले गए।
+
कितने मतलब निकाले गए।
  
 
कौन साज़िश में शामिल हुए
 
कौन साज़िश में शामिल हुए

09:21, 7 फ़रवरी 2018 का अवतरण

खूब नारे उछाले गए
लोग बातों में टाले गए।

जो अंधेरों में पाले गए
दूर तक वो उजाले गए।

जिनसे घर में उजाले हुए
वो ही घर से निकाले गए।

जिनके मन में कोई चोर था
वो नियम से शिवाले गए।

पाँव जितना चले उनसे भी
दूर पांवों के छाले गए।

इक ज़रा सी मुलाक़ात के
कितने मतलब निकाले गए।

कौन साज़िश में शामिल हुए
किनके मुंह के निवाले गए।

अब ये ताज़ा अँधेरे जियो
कल के बासी उजाले गए।