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+ | रस के लोभी | ||
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+ | खिल-खिल मुस्काएँ । | ||
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+ | चुरा ले गई | ||
+ | फूलों के दामन से | ||
+ | खुशबू हवा | ||
+ | समझी थी सहेली | ||
+ | क्यों बनी है पहेली ? | ||
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+ | रेतीले तट | ||
+ | सागर से बिछुड़ी | ||
+ | लहरें गुम | ||
+ | पत्थर ज़्यादा लाईं | ||
+ | सीपियाँ तो हैं कम । | ||
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+ | पीले फूलों में | ||
+ | अजब-गजब सा | ||
+ | खड़ा बिजूका | ||
+ | किसी को भी न भाए | ||
+ | मन में पछताए । | ||
+ | 7 | ||
+ | मीठी ख़ुमारी | ||
+ | सोए रहे सपने | ||
+ | आँख खुली तो | ||
+ | कोई न संग, साथ | ||
+ | ग़म ही थे अपने । | ||
+ | 8 | ||
+ | छूकर गया | ||
+ | अभी मेरे मन को | ||
+ | है आस-पास | ||
+ | निर्मल झकोरे सा | ||
+ | तेरा रिश्ता ये ख़ास। | ||
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16:38, 7 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण
1
उजला थान
उसमें से मुझको
मिला रुमाल
रखा मैंने निर्मल
जतन से सँभाल ।
2
उगा पड़ा है
आवाजों का जंगल
तन्हा खड़ी मैं
गा लेती संग में ,क्यों-
अनमनी बड़ी मैं ?
3
खूब लुभाते
गुनगुन करते
रस के लोभी
झूमती कलिकाएँ
खिल-खिल मुस्काएँ ।
4
चुरा ले गई
फूलों के दामन से
खुशबू हवा
समझी थी सहेली
क्यों बनी है पहेली ?
5
रेतीले तट
सागर से बिछुड़ी
लहरें गुम
पत्थर ज़्यादा लाईं
सीपियाँ तो हैं कम ।
6
पीले फूलों में
अजब-गजब सा
खड़ा बिजूका
किसी को भी न भाए
मन में पछताए ।
7
मीठी ख़ुमारी
सोए रहे सपने
आँख खुली तो
कोई न संग, साथ
ग़म ही थे अपने ।
8
छूकर गया
अभी मेरे मन को
है आस-पास
निर्मल झकोरे सा
तेरा रिश्ता ये ख़ास।