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"अधूरी बातें / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर
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+ | भरभराया दिल | ||
+ | कितना सहे! | ||
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+ | दोनों के दुःख | ||
+ | हाथ गहे | ||
+ | बतियाए रात भर | ||
+ | भोर हुई | ||
+ | मुस्कुरा दिए। | ||
+ | 10 | ||
+ | सूरज उगा | ||
+ | कि छाप दिया चुम्बन | ||
+ | तेरे उज्ज्वल माथे पर। | ||
+ | 11 | ||
+ | बातें हुईं जीभर | ||
+ | कहनी थी जब | ||
+ | मन की बात | ||
+ | फ़ोन कट गया ! | ||
+ | 12 | ||
+ | पथराए सम्बन्ध | ||
+ | बहुत शीत है | ||
+ | दे दो ऑंच | ||
+ | तन मन की। | ||
+ | 13 | ||
+ | होंठों पर मुस्कान | ||
+ | देती लगती आमंत्रण | ||
+ | पर आँखों में | ||
+ | शक का खून | ||
+ | डरता है यह जुनून। | ||
+ | 14 | ||
+ | भटकती | ||
+ | अधूरी बातें | ||
+ | मन के बियाबान में | ||
+ | तरसती कि | ||
+ | कभी मिल जाओ | ||
+ | जीवन बहुत कम। | ||
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17:50, 11 फ़रवरी 2018 का अवतरण
8
साथ रहे
लम्बा सफ़र
भरभराया दिल
कितना सहे!
9
दोनों के दुःख
हाथ गहे
बतियाए रात भर
भोर हुई
मुस्कुरा दिए।
10
सूरज उगा
कि छाप दिया चुम्बन
तेरे उज्ज्वल माथे पर।
11
बातें हुईं जीभर
कहनी थी जब
मन की बात
फ़ोन कट गया !
12
पथराए सम्बन्ध
बहुत शीत है
दे दो ऑंच
तन मन की।
13
होंठों पर मुस्कान
देती लगती आमंत्रण
पर आँखों में
शक का खून
डरता है यह जुनून।
14
भटकती
अधूरी बातें
मन के बियाबान में
तरसती कि
कभी मिल जाओ
जीवन बहुत कम।