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"तुम्हारी स्मृति / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर

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मेरा छलता लघु जीवन!
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जीवन के पथ पर
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तुम्हारी स्मृति पग-पग पर।
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मेरा नन्हा।-सा मन
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सरस स्नेहिल-सा मन
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नव विकसित यौवन
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फिर भी डोलता-सा जर्जर।
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मेरे विक्षिप्त से मन !
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कहाँ चला था तू धीरे-धीरे
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किशोरवय का जटिल पथ चीरे
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कभी थकता, कभी रुकता
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चल-अचल, निश्छल पर चंचल
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अब क्यों रुक गया तू थककर
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कभी-कभी कुछ तो होता होगा तुझ को भी
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अपना जानकर कह दे कुछ मुझको भी
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यदि नहीं कहा, तो ये कैसी आस है?
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ये कैसी प्यास है?
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बुझती नहीं जो बुझ-बुझकर
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ये कैसी आस है?
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छूटती नहीं जो गिर-गिर कर
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ओ मेरे लघु प्रेमघन !
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जीवन के कंटक-पथ पर
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तुम्हारी स्मृति पग-पग पर।
  
 
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00:15, 14 फ़रवरी 2018 का अवतरण


मेरा छलता लघु जीवन!
जीवन के पथ पर
तुम्हारी स्मृति पग-पग पर।
मेरा नन्हा।-सा मन
सरस स्नेहिल-सा मन
नव विकसित यौवन
फिर भी डोलता-सा जर्जर।
मेरे विक्षिप्त से मन !
कहाँ चला था तू धीरे-धीरे
किशोरवय का जटिल पथ चीरे
कभी थकता, कभी रुकता
चल-अचल, निश्छल पर चंचल
अब क्यों रुक गया तू थककर
कभी-कभी कुछ तो होता होगा तुझ को भी
अपना जानकर कह दे कुछ मुझको भी
यदि नहीं कहा, तो ये कैसी आस है?
ये कैसी प्यास है?
बुझती नहीं जो बुझ-बुझकर
ये कैसी आस है?
छूटती नहीं जो गिर-गिर कर
ओ मेरे लघु प्रेमघन !
जीवन के कंटक-पथ पर
तुम्हारी स्मृति पग-पग पर।