"मसंग निराश कुरा नगर / विमल गुरुङ" के अवतरणों में अंतर
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) ('अल्छिलाग्दो धरानको बाकसबाट बीरगंजको बोटमा हामफाल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | + | {{KKRachna | |
− | + | |रचनाकार= विमल गुरुङ | |
− | + | |अनुवादक= | |
− | + | |संग्रह= | |
− | + | }} | |
+ | {{KKCatKavita}} | ||
+ | {{KKCatNepaliRachna}} | ||
+ | <poem> | ||
− | + | मसंग निराश कुरा नगर | |
− | + | सुन्न मलाई गाह्रो पर्छ यस्ता कुरा | |
− | + | लाग्छ - | |
+ | मुटु खसखसाए जस्तो | ||
+ | सुन्दा यस्ता कुरा । | ||
− | + | निराशालाई | |
− | + | संधै मैले शत्रु मान्दै आएको छु | |
− | + | निराशा प्रति म कठोर छु | |
− | + | निराशा मेरो प्रतिद्वन्दी हो | |
− | म | + | म निराशाको अनुहारसम्म हेर्न चाहन्न |
− | + | मसंग निराश कुरा नगर | |
− | + | तिमीले आफ्नै मान्छेत्वलाई नकारेका छौ | |
− | + | मलाई अर्ति नदेउ, | |
− | मलाई | + | उपदेश नदेऊ, |
− | + | शुभकामना नदेऊ, | |
+ | 'राम्रो हुनु, नाम कमाउनु | ||
+ | मेरो त ... !' | ||
+ | साथि ! | ||
+ | मलाई तिम्रो अर्ति चहिन्न | ||
+ | शुभकामना पनि चाहिन्न | ||
+ | यसकारण, | ||
+ | कि मलाई निराश मान्छेबाट केहि चाहिंदैन | ||
+ | निराशाबाट केहि लिएर | ||
+ | म आफूलाई अपबित्र बनाउन चाहन्न । | ||
− | म | + | निराशा ! |
− | + | तिम्रो मान्छे भए | |
− | + | म अहिल्यै तिमीलाई काट्ने थिएँ | |
− | + | तर के गरुँ बिवस छुं ! | |
− | + | ||
− | + | मसंग निराश कुरा नगर | |
− | + | निराशा प्रगतिको बाधक हो | |
− | + | निराशा निरन्तरतामा पूर्णबिराम हो | |
− | + | निराशा मृत्यु हो | |
− | + | तिमी आफुलाई सानो देख्छौ | |
− | + | मलाई थाहा छ | |
− | + | तिमी हिनताबोधले ग्रस्त छौ | |
− | + | तर, थाहा हुनुपर्ने तिमीलाई मेरो साथि ! | |
− | + | म तिमीलाई रोसका साथ भन्छु | |
− | + | तिम्रा पनि हातहरु छन्, | |
− | + | जसरी मेरा छन्, अरुहरुका छन्, | |
− | + | तिम्रा पनि खुट्टा छन्, | |
− | + | जसरी मेरा छन्, अरुहरुका छन्, | |
− | + | तिम्रो टाउको पनि उस्तै हो, | |
− | + | जस्तो मेरो, अरुहरुको । | |
− | + | ||
− | + | मसंग निराश कुरा नगर | |
− | + | आशा/प्रतिक्षा/प्रयत्न गर्न सिक | |
− | + | आफूलाई सानो मात्र नदेख | |
− | + | तिमी पनि मान्छे हौ, | |
− | + | तिमी पनि केहि गर्न सक्छौ | |
− | + | केहि बन्न सक्छौ । | |
+ | |||
+ | मसंग निराश कुरा नगर | ||
+ | आऊ, | ||
+ | बरु - | ||
+ | अलिकति पानामाको कुरा गरौं | ||
+ | अलिकति रुमानियांको कुर गरौं | ||
+ | अलिकति तियानमियान चोकको कुरा गरौं | ||
+ | देशको भावी आन्दोलनको कुरा गरौं | ||
+ | गणेशमानको कुरा गरौं | ||
+ | आऊ, | ||
+ | बरु - | ||
+ | अलिकति मोदनाथको कुरा गरौं | ||
+ | मोहनचन्द्रको कुरा गरौं | ||
+ | अलिकति गृहयुद्धको कुरा गरौं | ||
+ | सुरुङ युद्धको कुरा गरौं | ||
+ | मसंग निराश कुरा नगर | ||
+ | आऊ बरु - | ||
+ | अलिकति तिम्रै फाटेको भेष्टको कुरा गरौं । | ||
</poem> | </poem> |
14:26, 27 मार्च 2018 के समय का अवतरण
मसंग निराश कुरा नगर
सुन्न मलाई गाह्रो पर्छ यस्ता कुरा
लाग्छ -
मुटु खसखसाए जस्तो
सुन्दा यस्ता कुरा ।
निराशालाई
संधै मैले शत्रु मान्दै आएको छु
निराशा प्रति म कठोर छु
निराशा मेरो प्रतिद्वन्दी हो
म निराशाको अनुहारसम्म हेर्न चाहन्न
मसंग निराश कुरा नगर
तिमीले आफ्नै मान्छेत्वलाई नकारेका छौ
मलाई अर्ति नदेउ,
उपदेश नदेऊ,
शुभकामना नदेऊ,
'राम्रो हुनु, नाम कमाउनु
मेरो त ... !'
साथि !
मलाई तिम्रो अर्ति चहिन्न
शुभकामना पनि चाहिन्न
यसकारण,
कि मलाई निराश मान्छेबाट केहि चाहिंदैन
निराशाबाट केहि लिएर
म आफूलाई अपबित्र बनाउन चाहन्न ।
निराशा !
तिम्रो मान्छे भए
म अहिल्यै तिमीलाई काट्ने थिएँ
तर के गरुँ बिवस छुं !
मसंग निराश कुरा नगर
निराशा प्रगतिको बाधक हो
निराशा निरन्तरतामा पूर्णबिराम हो
निराशा मृत्यु हो
तिमी आफुलाई सानो देख्छौ
मलाई थाहा छ
तिमी हिनताबोधले ग्रस्त छौ
तर, थाहा हुनुपर्ने तिमीलाई मेरो साथि !
म तिमीलाई रोसका साथ भन्छु
तिम्रा पनि हातहरु छन्,
जसरी मेरा छन्, अरुहरुका छन्,
तिम्रा पनि खुट्टा छन्,
जसरी मेरा छन्, अरुहरुका छन्,
तिम्रो टाउको पनि उस्तै हो,
जस्तो मेरो, अरुहरुको ।
मसंग निराश कुरा नगर
आशा/प्रतिक्षा/प्रयत्न गर्न सिक
आफूलाई सानो मात्र नदेख
तिमी पनि मान्छे हौ,
तिमी पनि केहि गर्न सक्छौ
केहि बन्न सक्छौ ।
मसंग निराश कुरा नगर
आऊ,
बरु -
अलिकति पानामाको कुरा गरौं
अलिकति रुमानियांको कुर गरौं
अलिकति तियानमियान चोकको कुरा गरौं
देशको भावी आन्दोलनको कुरा गरौं
गणेशमानको कुरा गरौं
आऊ,
बरु -
अलिकति मोदनाथको कुरा गरौं
मोहनचन्द्रको कुरा गरौं
अलिकति गृहयुद्धको कुरा गरौं
सुरुङ युद्धको कुरा गरौं
मसंग निराश कुरा नगर
आऊ बरु -
अलिकति तिम्रै फाटेको भेष्टको कुरा गरौं ।