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"मुगती अजै अणूती अळघी / मोनिका गौड़" के अवतरणों में अंतर

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कंवळै काळजै उकळै
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मुगत हूं म्हैं
ऊंडै कठैई
+
मिल रैयी है आजादी
डाफाचूक अंतस-अगन री कळझळ
+
मनचायो करण री
सोखती रैवै
+
भाखफाटै निसरूं
म्हारी तागत री सी’ल....
+
अधरातै बावड़ूं
 
+
नीं उठै आंगळ्यां
आकळ-बाकळ
+
नीं आखड़ूं सवालां रै भाटा सूं
मन री फडफ़ड़ाहट माथै
+
पैरूं मरजी रा गाभा
बजाय देवूं
+
लाली लिपिस्टिक लगा’र
कोई ऊल-जुलूल फिल्मी धुन
+
उडावूं हांसी रा भतूळिया
लोक-बैवार रै तानपूरै
+
फर्राटै चलावूं कार
अर बसबसतै काळजै
+
काळो चस्मो पैर्यां
घावां भेळो हुय जावै
+
घाणी रै बाळदियै री
कोई नुंवो घाव
+
गत बिसरा’र मनाऊं
रिस्तां री सांकळ रो !
+
स्त्री आजादी रो जसन
 
+
मानूं अैसान
कद होवूं मुगत
+
मरदां रो
कियां जाणूं खुद रो होवणो
+
कै थे दीवी म्हनैं स्वतंत्रता
होवणो चावूं
+
कळदारां पेटै
सा’व  थिर-स्यांत चित्त
+
बिसराय दियो
पौर-पौर
+
म्हैं म्हारौ हूवणो
विरोध अर
+
मुगती रो झुणझुणियो बजावती
उपराथळी पसरîै विचारां री ढिगली में दबी
+
भुंइजती फिरूं
म्हारी  ‘क्लॉस्ट्रोफोबिक’ चींत
+
कूड़-फरेब री
जावणी चावै
+
रास सूं बंध्योड़ी
हरियल कंदरावां में
+
लुळ-लुळ करूं सिलाम
निजू मून सागै
+
थारै ई सबदां में
जीवणी चावै
+
कै थे बख्सी म्हनैं
म्हारै पांती री स्यांति!
+
देह री आजादी
 +
पण
 +
चेतना अजै पड़ी अडाणै
 +
मुगती अजै अणूती अळघी...।
 
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19:01, 8 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

मुगत हूं म्हैं
मिल रैयी है आजादी
मनचायो करण री
भाखफाटै निसरूं
अधरातै बावड़ूं
नीं उठै आंगळ्यां
नीं आखड़ूं सवालां रै भाटा सूं
पैरूं मरजी रा गाभा
लाली लिपिस्टिक लगा’र
उडावूं हांसी रा भतूळिया
फर्राटै चलावूं कार
काळो चस्मो पैर्यां
घाणी रै बाळदियै री
गत बिसरा’र मनाऊं
स्त्री आजादी रो जसन
मानूं अैसान
मरदां रो
कै थे दीवी म्हनैं स्वतंत्रता
कळदारां पेटै
बिसराय दियो
म्हैं म्हारौ हूवणो
मुगती रो झुणझुणियो बजावती
भुंइजती फिरूं
कूड़-फरेब री
रास सूं बंध्योड़ी
लुळ-लुळ करूं सिलाम
थारै ई सबदां में
कै थे बख्सी म्हनैं
देह री आजादी
पण
चेतना अजै पड़ी अडाणै
मुगती अजै अणूती अळघी...।