भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"करके दया बचाले छत्री, भूलु नहीं अहसान तेरा / राजेराम भारद्वाज" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 14: पंक्ति 14:
  
 
'''करके दया बचाले छत्री, भूलु नहीं अहसान तेरा,
 
'''करके दया बचाले छत्री, भूलु नहीं अहसान तेरा,
मेरी आत्मा कहती रहैगी, भला करै भगवान तेरा ।। टेक ।।'''
+
'''मेरी आत्मा कहती रहैगी, भला करै भगवान तेरा ।। टेक ।।'''
  
 
शरण मै आऐ का दुःख बाटै, छत्री का कर्म कह्या जा सै,
 
शरण मै आऐ का दुःख बाटै, छत्री का कर्म कह्या जा सै,

23:58, 24 मई 2018 का अवतरण

                  (16)

सांग /किस्सा – महात्मा बुद्ध (अनुक्रमांक-14)

जवाब – हंस का सिद्धार्थ/महात्मा बुद्ध से ।

करके दया बचाले छत्री, भूलु नहीं अहसान तेरा,
मेरी आत्मा कहती रहैगी, भला करै भगवान तेरा ।। टेक ।।

शरण मै आऐ का दुःख बाटै, छत्री का कर्म कह्या जा सै,
सब्र शील संतोष दया तै, हिरदा नर्म कह्या जा सै,
जीव की रक्षा जीव करै तो, परमोधर्म कहया जा सै,
चेतन जीव, जीव कै सेती, माया ब्रहम कहया जा सै,
ब्रहम पिछाणै दया करै तो, जाणै दीन ईमान तेरा ।।

सतयुग-त्रेता द्वापर-कलयुग, काया मै आते हर बार,
14 मनु की एक चैकड़ी, एक कल्प, युग भी चार,
कल्प के 48 लाख और वर्ष बताए 20 हजार,
एक कल्प, एक दिन ब्रहमा का, जिसनै दिया रचा संसार,
ब्रहम का रूप कमल नाभी मैं, अंतकरण अस्थान तेरा ।।

कर्म इंद्री कर्म करण नै, इस काया मै डोल रही,
ज्ञान इंद्री ज्ञान करण नै, तिकछक बाणी बोल रही,
इंगला पीड़ा, पिंगला नाड़ी, द्वार दशमा खोल रही,
सत का नर्जा नाम दृष्टि, पाप-पुन्न को तोल रही,
बेद अनादि प्राचीन मुर्ति, कहै कर्म प्रधान तेरा ।।

कोए मरते की जान बचादे, वोहे राम कह्या जा सै,
जड़ै आदमी रहण लागज्या, वो घर-गाम कहया जा सै,
राजेराम धर्म की रक्षा, छत्री नाम कह्या जा सै,
भोली शान पिताम्बर बाणा, कृष्ण-श्याम कहया जा सै,
मेरी निगांह मै न्यूं आवै सै, जणुं पांडू खानदान तेरा ।।