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"इमारत एक आलीशान है दिल / राज़िक़ अंसारी" के अवतरणों में अंतर

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मेरी तन्हाई मेरा जुनूं और मैं
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इमारत एक आलीशान है दिल
ए शबे हिज्र कितना चलूं और मैं
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कई दिन से मगर वीरान है दिल
  
डाल दे क़ैद ख़ाने फिर से मुझे
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कभी ग़ालिब के जैसा शोख़ चंचल
तेरे दरबार में सर निगूं और मैं ?
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कभी तो मीर का दीवान है दिल
  
कर रही है ज़रूरत तक़ाज़ा मगर
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तुझे क्या हमने समझाया नहीं था
तुझ पे कोई क़सीदा लिखूँ और मैं ?
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मोहब्बत में बड़ा नुक़्सान है दिल
  
तुझ को पाने की धुन में भटकते रहे
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किसी की बात सुनता ही नहीं है
एक बे चारा दिल बे सुकूँ और मैं
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बहुत गुस्ताख़ नाफ़रमान है दिल
  
वो तो घर के चिराग़ों से मजबूर हूं
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तबाही का नहीं अफ़सोस लेकिन
आंधियो! वरना तुम से डरूं और मैं ?
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रवैये से तेरे हैरान है दिल
  
 
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05:31, 21 जून 2018 के समय का अवतरण

इमारत एक आलीशान है दिल
कई दिन से मगर वीरान है दिल

कभी ग़ालिब के जैसा शोख़ चंचल
कभी तो मीर का दीवान है दिल

तुझे क्या हमने समझाया नहीं था
मोहब्बत में बड़ा नुक़्सान है दिल

किसी की बात सुनता ही नहीं है
बहुत गुस्ताख़ नाफ़रमान है दिल

तबाही का नहीं अफ़सोस लेकिन
रवैये से तेरे हैरान है दिल