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"यहीँनेर रोकिएझैँ लाग्छ / गीता त्रिपाठी" के अवतरणों में अंतर
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09:23, 13 जुलाई 2018 के समय का अवतरण
जिन्दगी यो यहीँनेर रोकिएझैँ लाग्छ
पर्खाइमै सारा आकाश पोखिएझैँ लाग्छ
बतासमा तिमीलाई छोएर पो हो कि
बिर्सिएको गीत सम्झी रोएर पो हो कि
गोधूलीको संघारमा ठोकिएझैँ लाग्छ
पर्खाइमै सारा आकाश पोखिएझैँ लाग्छ
धूवाँजस्तो खेल्छ मनमा तस्वीर छेकिदिन्छ
छातीभरि वियोगको कथा लेखिदिन्छ
अल्झिएझैँ लाग्छ सीमा तोकिएझैँ लाग्छ
पर्खाइमै सारा आकाश पोखिएझैँ लाग्छ