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महा शिवतीर्थ हूँ<br>
 
महा शिवतीर्थ हूँ<br>
 
अपने समय का मैं ! <br><br>
 
अपने समय का मैं ! <br><br>
......-......
 
(47) आत्म-निरीक्षण
 
 
जीवन भर<br>
 
कुछ भी<br>
 
अच्छा नहीं किया ! <br>
 
ऐसे तो<br>
 
जी लेते हैं सब, <br>
 
कुछ भी लोकोत्तर<br>
 
जीवन नहीं जिया ! <br>
 
अपने में ही<br>
 
रहा रमा, <br>
 
हे सृष्टा ! <br>
 
करना सदय क्षमा ! <br><br>
 

22:29, 17 जुलाई 2008 के समय का अवतरण

वर्षों

जी लिया जीवन अकेले,
शेष भी
चुपचाप जी लेंगे !

विष-जल पी लिया
दिन.... रात
बेबस,
मृत्यु की उत्सुक प्रतीक्षा में !
भविष्य विनाश वीक्षा में !

विषज हर द्रव्य
हँस कर
शेष जीवन-हेतु
अपने-आप पी लेंगे !

मत करो चिन्ता -
निवासी विष-निलय का मैं,
महा शिवतीर्थ हूँ
अपने समय का मैं !