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"दिल के अरमान जब मचलते हैं / ईश्वरदत्त अंजुम" के अवतरणों में अंतर

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दिल में इक दर्द का अहसास जगा देता है
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दिल के अरमान जब मचलते हैं
डूबती नज़रों से जब कोई दुआ देता है
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हसरतों के भी पल निकलते हैं
  
दमे-नफ़रत से रहो दूर महब्बत सीखो
+
टूटे दिल भी कहीं बहलते हैं
प्यार इंसान को इंसान बना देता है
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वो तो बस आंसुओं में ढलते हैं
  
जामे-मय कुछ तो मज़ा देता है यारो मुझको
+
ठेस लगती है उस घड़ी दिल को
शिद्दते-दर्द को थोड़ा सा घटा देता है
+
लोग जब रास्ते बदलते हैं
  
जब कभी हसरते-दीदार सताती है मुझे
+
है वही कामयाब दुनिया में
अपने रुख़ से कोई पर्दे को हटा देता है
+
वक़्त के साथ जो बदलते हैं
  
राह पा जा जाता है महबूब के दिल में वो शख्स
+
मौसमे-बरशगाल हो जैसे
उस की हर बात पे जो फूल चढ़ा देता है
+
अश्क़ आंखों से यूँ निकलते हैं
  
जो झुका देता है अज़ रहे-अक़ीदत सर को
+
जब ज़मीं पर क़ियाम है सब का
अपनी अज़मत का वो ऐजाज़ दिखा देता है
+
लोग क्यों कितना फिर उछलते हैं
  
जामे-वहदत उसे हो जाता है हासिल अंजुम  
+
जब भी होता है सामना उनका
खुद को जज़्बात से ऊपर जो उठा देता है
+
जिस्मो-जां एक साथ जलते हैं
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अज़्म उकता अगर वो ऐ अंजुम
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रास्ते खुद ब-खुद निकलते हैं।
 
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18:00, 20 अगस्त 2018 के समय का अवतरण

 
दिल के अरमान जब मचलते हैं
हसरतों के भी पल निकलते हैं

टूटे दिल भी कहीं बहलते हैं
वो तो बस आंसुओं में ढलते हैं

ठेस लगती है उस घड़ी दिल को
लोग जब रास्ते बदलते हैं

है वही कामयाब दुनिया में
वक़्त के साथ जो बदलते हैं

मौसमे-बरशगाल हो जैसे
अश्क़ आंखों से यूँ निकलते हैं

जब ज़मीं पर क़ियाम है सब का
लोग क्यों कितना फिर उछलते हैं

जब भी होता है सामना उनका
जिस्मो-जां एक साथ जलते हैं

अज़्म उकता अगर वो ऐ अंजुम
रास्ते खुद ब-खुद निकलते हैं।