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"मोईन बेस्सिसो" के अवतरणों में अंतर
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|विविध=फ़िलीस्तीनी प्रतिरोध के महत्वपूर्ण कवि।15 मई 1948 में इज़रायल के बनने के बाद 1949 से 1952 तक अमरीका में शिक्षा प्राप्त की और वहाँ से लौटकर पहले एक इराकी गाँव में एक स्कूल में अध्यापन किया। इसके बाद फ़िलीस्तीनी शरणार्थी शिविरों में बच्चों को पढ़ाया। 1955 से 1963 तक मिस्र की जेलों में और यातना शिविरों में बन्द रहे, जहाँ उन्हें भारी मानसिक और शारीरिक यातनाएँ दी गईं। 1963 में रिहा होने के बाद बेरूत में रहने लगे। फ़िलीस्तीनी मुक्ति संगठन ने उन्हें 1979 में ’क्रान्ति के कवि’ की उपाधि से सम्मानित किया। | |विविध=फ़िलीस्तीनी प्रतिरोध के महत्वपूर्ण कवि।15 मई 1948 में इज़रायल के बनने के बाद 1949 से 1952 तक अमरीका में शिक्षा प्राप्त की और वहाँ से लौटकर पहले एक इराकी गाँव में एक स्कूल में अध्यापन किया। इसके बाद फ़िलीस्तीनी शरणार्थी शिविरों में बच्चों को पढ़ाया। 1955 से 1963 तक मिस्र की जेलों में और यातना शिविरों में बन्द रहे, जहाँ उन्हें भारी मानसिक और शारीरिक यातनाएँ दी गईं। 1963 में रिहा होने के बाद बेरूत में रहने लगे। फ़िलीस्तीनी मुक्ति संगठन ने उन्हें 1979 में ’क्रान्ति के कवि’ की उपाधि से सम्मानित किया। | ||
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18:24, 13 मार्च 2019 का अवतरण
मोईन बेस्सिसो
जन्म | १० अक्तूबर1930 |
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निधन | 24 जनवरी 1984 |
उपनाम | بسىسو، ترجمه |
जन्म स्थान | गाज़ा शहर, गाज़ा पट्टी, फ़िलीस्तीन |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
युद्ध (1952), फ़िलीस्तीन मेरे दिल में है (1966), खिड़की के शीशे पर (1977) सहित कुल ग्यारह कविता-संग्रह, छह नाटक और गद्य की पाँच पुस्तकें। | |
विविध | |
फ़िलीस्तीनी प्रतिरोध के महत्वपूर्ण कवि।15 मई 1948 में इज़रायल के बनने के बाद 1949 से 1952 तक अमरीका में शिक्षा प्राप्त की और वहाँ से लौटकर पहले एक इराकी गाँव में एक स्कूल में अध्यापन किया। इसके बाद फ़िलीस्तीनी शरणार्थी शिविरों में बच्चों को पढ़ाया। 1955 से 1963 तक मिस्र की जेलों में और यातना शिविरों में बन्द रहे, जहाँ उन्हें भारी मानसिक और शारीरिक यातनाएँ दी गईं। 1963 में रिहा होने के बाद बेरूत में रहने लगे। फ़िलीस्तीनी मुक्ति संगठन ने उन्हें 1979 में ’क्रान्ति के कवि’ की उपाधि से सम्मानित किया। | |
जीवन परिचय | |
मोईन बेस्सिसो / परिचय |