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"जागो / बाल गंगाधर 'बागी'" के अवतरणों में अंतर
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− | + | जागो रात में सूरज न आने वाला है | |
− | + | खुशियों की सौगात न लाने वाला है | |
− | + | जंग खुदी के हाथों से ही लड़नी होगी | |
− | + | भगवान कोई अवतार न लेने वाला है | |
− | + | आओ उस आबाद करें गुलिस्तां को | |
− | + | जिसका पत्थर धूल न खाने वाला है | |
− | + | चुनकर हर नींवों से जमा करें पत्थर | |
− | + | जिन ईटों का न ताज बिखरने वाला है | |
− | + | पतझड़ों में कितनी सदियां बीती हैं | |
− | + | पद दर्द मेरा अब चुप न रहने वाला है | |
− | + | मौजे समन्दर1 कुछ-कुछ बातें करती हैं | |
− | + | ‘बाग़ी’ गर्म लहू, जब चुप न रहने वाला है | |
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15:25, 23 अप्रैल 2019 के समय का अवतरण
जागो रात में सूरज न आने वाला है
खुशियों की सौगात न लाने वाला है
जंग खुदी के हाथों से ही लड़नी होगी
भगवान कोई अवतार न लेने वाला है
आओ उस आबाद करें गुलिस्तां को
जिसका पत्थर धूल न खाने वाला है
चुनकर हर नींवों से जमा करें पत्थर
जिन ईटों का न ताज बिखरने वाला है
पतझड़ों में कितनी सदियां बीती हैं
पद दर्द मेरा अब चुप न रहने वाला है
मौजे समन्दर1 कुछ-कुछ बातें करती हैं
‘बाग़ी’ गर्म लहू, जब चुप न रहने वाला है