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"जौं हमेॅ जानतौं / ब्रह्मदेव कुमार" के अवतरणों में अंतर

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जिनगी होय जैतै बेकार गे।
 
जिनगी होय जैतै बेकार गे।
 
धरती-आकाश छै जगमग इंजोरिया
 
धरती-आकाश छै जगमग इंजोरिया
मोर जिनगी में अन्हार गे।।
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मोर जिनगी में अन्हार गे।
 
सास-ससुर के मन नहीं भावै, कच-कच करै दिन-रात गे।
 
सास-ससुर के मन नहीं भावै, कच-कच करै दिन-रात गे।
ननदी-दियौरें कहै छै टिप्पाधारी, वर नाहीं मानै मोर बात गे।।
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ननदी-दियौरें कहै छै टिप्पाधारी, वर नाहीं मानै मोर बात गे।
  
 
नाहीं हमेॅ खेलतलिं सुपती-मउनियाँ, नाहीं हमेॅ गुड़बा-गुड़िया गे।
 
नाहीं हमेॅ खेलतलिं सुपती-मउनियाँ, नाहीं हमेॅ गुड़बा-गुड़िया गे।
मैयो नै भेजलकै, बप्पों नै भैजलकै, पढ़ै लेॅ कोनोॅ इस्कूलिया गे।।
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मैयो नै भेजलकै, बप्पों नै भैजलकै, पढ़ै लेॅ कोनोॅ इस्कूलिया गे।
  
 
कुईयां के बेंगबा टर-टर बोलै, बड़ नाहीं कोऊ दोसरबा गे।
 
कुईयां के बेंगबा टर-टर बोलै, बड़ नाहीं कोऊ दोसरबा गे।
सुनी रे सुनी हिरदै जे फाटै, झर-झर झरै मोर लोरवा गे।।
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सुनी रे सुनी हिरदै जे फाटै, झर-झर झरै मोर लोरवा गे।
  
 
उछली-कूदिये बेंगबां जे देखै, जब दुनियाँ के रीतिया गे।
 
उछली-कूदिये बेंगबां जे देखै, जब दुनियाँ के रीतिया गे।
धक-धक परणमां, झक-झक जमनमां, झप-झप झपकै अँखिया गे।।
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धक-धक परणमां, झक-झक जमनमां, झप-झप झपकै अँखिया गे।
  
 
बस्ता लैकेॅ चललै जे बेंगबा, पढ़ै लेॅ इस्कूलिया गे।
 
बस्ता लैकेॅ चललै जे बेंगबा, पढ़ै लेॅ इस्कूलिया गे।
पढ़ै-लिखै लेॅ हमरोॅ तरसै परणमां, टप-टप टपकै लोरबा गे।।
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पढ़ै-लिखै लेॅ हमरोॅ तरसै परणमां, टप-टप टपकै लोरबा गे।
  
 
सबके पढ़ाय के लिखाय के योजनमां, साक्षरता अभियनमां गे।
 
सबके पढ़ाय के लिखाय के योजनमां, साक्षरता अभियनमां गे।
चलोॅ हम्मेॅ पढ़बै, लिखबै जे आबेॅ, होतै सफल मोर जीवनमां गे।।
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चलोॅ हम्मेॅ पढ़बै, लिखबै जे आबेॅ, होतै सफल मोर जीवनमां गे।
 
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23:10, 2 मई 2019 के समय का अवतरण

जौं हमेॅ जानतौं अनपढ़ रहला सें,
जिनगी होय जैतै बेकार गे।
धरती-आकाश छै जगमग इंजोरिया
मोर जिनगी में अन्हार गे।
सास-ससुर के मन नहीं भावै, कच-कच करै दिन-रात गे।
ननदी-दियौरें कहै छै टिप्पाधारी, वर नाहीं मानै मोर बात गे।

नाहीं हमेॅ खेलतलिं सुपती-मउनियाँ, नाहीं हमेॅ गुड़बा-गुड़िया गे।
मैयो नै भेजलकै, बप्पों नै भैजलकै, पढ़ै लेॅ कोनोॅ इस्कूलिया गे।

कुईयां के बेंगबा टर-टर बोलै, बड़ नाहीं कोऊ दोसरबा गे।
सुनी रे सुनी हिरदै जे फाटै, झर-झर झरै मोर लोरवा गे।

उछली-कूदिये बेंगबां जे देखै, जब दुनियाँ के रीतिया गे।
धक-धक परणमां, झक-झक जमनमां, झप-झप झपकै अँखिया गे।

बस्ता लैकेॅ चललै जे बेंगबा, पढ़ै लेॅ इस्कूलिया गे।
पढ़ै-लिखै लेॅ हमरोॅ तरसै परणमां, टप-टप टपकै लोरबा गे।

सबके पढ़ाय के लिखाय के योजनमां, साक्षरता अभियनमां गे।
चलोॅ हम्मेॅ पढ़बै, लिखबै जे आबेॅ, होतै सफल मोर जीवनमां गे।