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"नया समाज बनैबै / ब्रह्मदेव कुमार" के अवतरणों में अंतर

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चललै साक्षरता अभियान, खुशी सेॅ झूमै हमरोॅ परान।
 
चललै साक्षरता अभियान, खुशी सेॅ झूमै हमरोॅ परान।
पढ़ी-लिखी केॅ साक्षर बनबै, मन के पूरतै अरमान।।
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पढ़ी-लिखी केॅ साक्षर बनबै, मन के पूरतै अरमान।
  
 
क-ख-ग-घ पढ़भै हो भैया, एक-दू-तीन-चार लिखबै।
 
क-ख-ग-घ पढ़भै हो भैया, एक-दू-तीन-चार लिखबै।
जोड़, घटाव, गुणा, भाग बनैबै, ज्ञानोॅ के दीया जलैबै।।
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जोड़, घटाव, गुणा, भाग बनैबै, ज्ञानोॅ के दीया जलैबै।
  
 
पढ़ी-लिखी केॅ हम्में बनबै किसान, खूब उपजतै धान।
 
पढ़ी-लिखी केॅ हम्में बनबै किसान, खूब उपजतै धान।
वैज्ञानिक ढंगोॅ सेॅ खेती करबै, पूरा होतै सब अरमान।।
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वैज्ञानिक ढंगोॅ सेॅ खेती करबै, पूरा होतै सब अरमान।
  
 
साफ-सफाई रखै लेॅ सीखबै, दुरगुन दूर भगैबै।
 
साफ-सफाई रखै लेॅ सीखबै, दुरगुन दूर भगैबै।
अत्याचार आरो भ्रष्टाचारोॅ केॅ, धरती सेॅ मिटैबै।।
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अत्याचार आरो भ्रष्टाचारोॅ केॅ, धरती सेॅ मिटैबै।
  
 
चलोॅ हो भैया, मैया-बहिन सब, पढ़ै-लिखै लेॅ सीखबै।
 
चलोॅ हो भैया, मैया-बहिन सब, पढ़ै-लिखै लेॅ सीखबै।
 
निरक्षरता के कलंक मिटैबै, नया समाज बनैबै,
 
निरक्षरता के कलंक मिटैबै, नया समाज बनैबै,
 
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23:26, 2 मई 2019 के समय का अवतरण

पढ़भै हो, पढ़भै हम्मेॅ साक्षरता अभियान में पढ़भै हो।

चललै साक्षरता अभियान, खुशी सेॅ झूमै हमरोॅ परान।
पढ़ी-लिखी केॅ साक्षर बनबै, मन के पूरतै अरमान।

क-ख-ग-घ पढ़भै हो भैया, एक-दू-तीन-चार लिखबै।
जोड़, घटाव, गुणा, भाग बनैबै, ज्ञानोॅ के दीया जलैबै।

पढ़ी-लिखी केॅ हम्में बनबै किसान, खूब उपजतै धान।
वैज्ञानिक ढंगोॅ सेॅ खेती करबै, पूरा होतै सब अरमान।

साफ-सफाई रखै लेॅ सीखबै, दुरगुन दूर भगैबै।
अत्याचार आरो भ्रष्टाचारोॅ केॅ, धरती सेॅ मिटैबै।

चलोॅ हो भैया, मैया-बहिन सब, पढ़ै-लिखै लेॅ सीखबै।
निरक्षरता के कलंक मिटैबै, नया समाज बनैबै,