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लकड़ी काटने वाला टँगिया भी
गुड़ाखू की डिबिया, तम्बाखू की पुड़िया के साथ पड़िया <ref>लकड़ी की कँघी</ref> और पान का पुड़ा
पत्थर तोड़ते तुम्हारी मांसपेशियों से निकलने वाले पसीने का आत्मीय मित्र तुम्हारा लाल गमछा भी रख छोड़ा है
हमारी ख़ैर-ख़बर लेकर तुम तक
सन्देश पहुचाने वाले कौवों की तस्वीर भी
तुम्हारी मेनहीर <ref>स्मृति-पाषाण, समाधि</ref> में उकेर दी है
तुम चिन्ता न करना बीज पण्डुम <ref>स्थानीय त्यौहार</ref> में तुम्हे न्यौता भेज देगें तुम्हारी बिटिया के ब्याह का
तुम जाओ ख़ुशी-ख़ुशी
हमें पता है मेनहीर का आकार सालों साल बढ़ेगा तेज़ी से
हम तुम्हें जाने नही देंगे कभी हमारे बीच से ।
</poem>
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