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"सरस्वती वंदना / सोना श्री" के अवतरणों में अंतर

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वीणापाणि ! भारती ! माँ गोमती ! माँ श्वेतानन!
 
ज्ञानमुद्रा ! वरप्रदा ! माँ शारदे ! तुमको नमन l
 
  
मैं अकिंचन, निरालम्बी सामने तेरे खड़ी,
 
माँ मुझे तुम दो सहारा, मैं चरण में हूँ पड़ी,
 
सर्वव्यापी घोर तम में चाहती हूँ मैं शरण l
 
 
तुम कला साहित्य और संगीत की हो चेतना,
 
देवता भी बनके साधक करते तेरी साधना,
 
आँसुओं से मूढ़ मैं माँ धो रही तेरे चरण l
 
 
ज्ञान बिन मैं माँ अधूरी, मुझको विद्या दान दो,
 
भाव, पिंगल, शब्द भरकर गीत में नवप्राण दो,
 
माँ तेरी ही मैं कृपा से गा रही तेरा भजन l
 
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10:20, 11 जुलाई 2019 के समय का अवतरण