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"कर्मयोगिनी / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर
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अथवा कर्मयोगिनी मौन। | अथवा कर्मयोगिनी मौन। | ||
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05:03, 16 जुलाई 2019 के समय का अवतरण
ओ आमार उठोनेर रजनीगंधा,
शोनो
शेखाबे की आमाके
अंधकारे
हासार कौशल?
आर हे प्रिये! सादा फूलेर द्वारा
रात्रिर कालो बइये
करो तुमि सशक्त हस्ताक्षर
प्रेम ना कर्म की तोमार वार्ता?
जानाबे आमाय।
कर्मयोगी अथवा रातजागा प्रेमी
के तुमि?
प्रियेर प्रेयसी
अथवा कर्मयोगिनी मौन।
(अनुवादक हिंदी से बंगाली देवनागरी डॉ .भीखी प्रसाद 'वीरेंद्र' सिलीगुड़ी)
मूल कविता *कर्मयोगिनी मौन / कविता भट्ट