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"अविश्वसनीय / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर
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					| Pratishtha  (चर्चा | योगदान) | |||
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| .... शोकान्त !   | .... शोकान्त !   | ||
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| मैं ही जीवन की | मैं ही जीवन की | ||
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| रस विहीन!   | रस विहीन!   | ||
| + | |||
| मैं ही भोजक | मैं ही भोजक | ||
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| भोज्य!   | भोज्य!   | ||
| − | आदि | + | आदि... मध्य... अंत   | 
| − | + | ||
| − | ... मध्य... अंत   | + | |
| विषाद सिक्त | विषाद सिक्त | ||
| पंक्ति 54: | पंक्ति 54: | ||
| बोझिल मंथर गति से विकसित!   | बोझिल मंथर गति से विकसित!   | ||
| + | |||
| पर,   | पर,   | ||
| पंक्ति 61: | पंक्ति 62: | ||
| तुम कौन?   | तुम कौन?   | ||
| − | रंभा?   | + |      रंभा?  | 
| + | |||
| + |      उर्वशी ?   | ||
| − | |||
| एकरस कथानक में अचानक !   | एकरस कथानक में अचानक !   | ||
| + | |||
| यह सब   | यह सब   | ||
| + | |||
| 'सहसा' है,   | 'सहसा' है,   | ||
| + | |||
| अनमिल | अनमिल | ||
| + | |||
| अस्वाभाविक है ! | अस्वाभाविक है ! | ||
09:58, 17 अगस्त 2008 का अवतरण
प्रेक्षागृह मेंप्रेक्षक नहीं,
मात्र मैं हूँ!
मैं—
अभिनेता,
नायक!
जिसका जीवन
प्रहसन नहीं,
त्रासद
.... शोकान्त !
मैं ही जीवन की
मुख्य
-कथा का निर्माता
टूटे-स्वर से
गा....ता
समाधि गान!
जिसकी करुण तान
अनाकर्षक
रस विहीन!
मैं ही भोजक
भोज्य!
आदि... मध्य... अंत
विषाद सिक्त
नील तंतु से निर्मित,
बोझिल मंथर गति से विकसित!
पर, 
मादक प्रकरी-सी
तुम कौन?
रंभा?
उर्वशी ?
एकरस कथानक में अचानक ! 
यह सब
'सहसा' है,
अनमिल
अस्वाभाविक है !
 
	
	

