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"दुआओं में असर आना ज़रूरी है / हरिराज सिंह 'नूर'" के अवतरणों में अंतर

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नहीं तो बन्दगी अपनी अधूरी है।
  
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तो उन में भी जिगर होना ज़रूरी है।
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बहुत-सी ख़ामियाँ हैं इस ज़माने में,
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हुकूमत की इक इनमें जी हुज़ूरी है।
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मैं कैसे झूठ से मुँह मोड़ सकता हूँ?
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मिला करती मुझे इसकी “मजूरी” है।
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करो ख़ुद फ़ैस्ला ऐ ‘नूर’ तुम इसका,
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तुम्हारी हर अदा कितनी सिन्दूरी है।
 
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21:47, 27 अक्टूबर 2019 के समय का अवतरण

दुआओं में असर आना ज़रूरी है।
नहीं तो बन्दगी अपनी अधूरी है।

बुलंदी पर जो चाहें ख़्वाहिशें पहुँचें,
तो उन में भी जिगर होना ज़रूरी है।

बहुत-सी ख़ामियाँ हैं इस ज़माने में,
हुकूमत की इक इनमें जी हुज़ूरी है।

मैं कैसे झूठ से मुँह मोड़ सकता हूँ?
मिला करती मुझे इसकी “मजूरी” है।

करो ख़ुद फ़ैस्ला ऐ ‘नूर’ तुम इसका,
तुम्हारी हर अदा कितनी सिन्दूरी है।