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"असहाय / पद्मजा बाजपेयी" के अवतरणों में अंतर
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असहाय बेटे ने, ममता ही तोड़ लिया, | असहाय बेटे ने, ममता ही तोड़ लिया, | ||
बेबेस दो बूढ़ों को, अपना समझ लिया। | बेबेस दो बूढ़ों को, अपना समझ लिया। | ||
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00:23, 15 फ़रवरी 2020 के समय का अवतरण
निरंकुश तानाशाह बाप का निरीह बेटा,
चलता-फिरता निर्जीव पुतला,
बाल्य काल में ही, युवा-सी मुद्राये,
धँसी-सी आँखें, चेहरा तीन कोणों का,
खुशियों का अभाव, हर समय काँव-काँव,
कोरे उपदेशों ने, नाश ही नाश किया,
सर्वगुण के चक्कर ने, अवगुणों में ढाल दिया,
कोमल पंखुड़ियों को, कांटों ने घेर लिया,
सारी आशाओ, पर पानी ही फेर दिया,
असहाय बेटे ने, ममता ही तोड़ लिया,
बेबेस दो बूढ़ों को, अपना समझ लिया।