भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बाल कविताएँ / भाग 17 / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' }} Category:...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
[[Category:बाल-कविताएँ]] | [[Category:बाल-कविताएँ]] | ||
<poem> | <poem> | ||
+ | '''3-हवा का झोंका''' | ||
+ | पर्वत-पर्वत | ||
+ | खेतों-खेतों | ||
+ | दिनभर घूमा | ||
+ | अल्हड़ प्यारा | ||
+ | रहा दौड़ता | ||
+ | नन्हा एक हवा का झोंका । | ||
+ | पकड़ डालियाँ | ||
+ | झूला जीभर | ||
+ | बैठ गया- | ||
+ | पत्तों में छुपकर | ||
+ | किसी पेड़ ने | ||
+ | हाथ पकड़ कब उसको टोका । | ||
+ | आँख बचाकर | ||
+ | झरने में भी | ||
+ | खूब नहाता | ||
+ | धूल उड़ाता | ||
+ | खलिहानो ने, | ||
+ | गाँव-गली ने कभी न टोका । | ||
+ | |||
+ | -0- | ||
+ | |||
+ | '''4-धूप''' | ||
+ | |||
+ | बहुत दूर से आई धूप | ||
+ | लेकरके गरमाई धूप । | ||
+ | |||
+ | प्यासी धरती | ||
+ | प्यासा अम्बर | ||
+ | छिपे सभी हैं | ||
+ | तुझसे डरकर | ||
+ | तू न किसी को भाई धूप । | ||
+ | |||
+ | बहा पसीना | ||
+ | मुश्किल जीना | ||
+ | चैन सभी का | ||
+ | तूने छीना | ||
+ | लू तेरी अँगड़ाई धूप । | ||
+ | |||
+ | सूरज को जब | ||
+ | गुस्सा आता | ||
+ | चलते-चलते | ||
+ | वह थक जाता | ||
+ | ठण्डा शरबत लाई धूप । | ||
+ | |||
+ | -0- | ||
</poem> | </poem> |
22:58, 6 मई 2020 के समय का अवतरण
3-हवा का झोंका
पर्वत-पर्वत
खेतों-खेतों
दिनभर घूमा
अल्हड़ प्यारा
रहा दौड़ता
नन्हा एक हवा का झोंका ।
पकड़ डालियाँ
झूला जीभर
बैठ गया-
पत्तों में छुपकर
किसी पेड़ ने
हाथ पकड़ कब उसको टोका ।
आँख बचाकर
झरने में भी
खूब नहाता
धूल उड़ाता
खलिहानो ने,
गाँव-गली ने कभी न टोका ।
-0-
4-धूप
बहुत दूर से आई धूप
लेकरके गरमाई धूप ।
प्यासी धरती
प्यासा अम्बर
छिपे सभी हैं
तुझसे डरकर
तू न किसी को भाई धूप ।
बहा पसीना
मुश्किल जीना
चैन सभी का
तूने छीना
लू तेरी अँगड़ाई धूप ।
सूरज को जब
गुस्सा आता
चलते-चलते
वह थक जाता
ठण्डा शरबत लाई धूप ।
-0-