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भींतें ही भींतें खड़ी करके | भींतें ही भींतें खड़ी करके |
20:12, 18 मई 2020 के समय का अवतरण
भींतें ही भींतें खड़ी करके
छतें बनाईं तो क्या
दरूजे बनाए तो क्या...
कल
जब प्रलय आएगा...
लम्बी ख़ामोशी के बाद
खण्डहरों के बीच
बची रह गई
उदास चौखटों के अवशेषों से
सिर भिड़ाएगा आदमी...
फिर से
भींतों में क़ैद होने को
विवश हो जाएगी सभ्यता !