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"लोकतन्त्र में / नोमान शौक़" के अवतरणों में अंतर

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23:08, 13 सितम्बर 2008 का अवतरण

कोई दोष नहीं दिया जा सकता
अपनी ही चुनी हुई सरकार को

सरकार के पास
धर्म होता है अध्यात्म नहीं
पुस्तकें होती हैं ज्ञान नहीं
शब्द होते हैं भाव नहीं
योजनाएं होती हैं प्रतिबध्दता नहीं
शरीर होता है आत्मा नहीं
मुखौटे होते हैं चेहरा नहीं
आंखें होती हैं आंसू नहीं
बस मौत के आंकडे होते हैं
मौत की भयावहता नहीं

सब कुछ होते हुए
कुछ भी नहीं होता
सरकार के पास !