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"रात और चीख़ / नोमान शौक़" के अवतरणों में अंतर
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00:08, 15 सितम्बर 2008 के समय का अवतरण
इक जंगली सूअर के डर से
अपने-अपने घर में
दुबके रहने वाले सूरमाओं की तरफ़
क्यों देखते हो
इनके घर में
ऐश-कोशी की हज़ारों जन्नतें आबाद हैं
इन्होंने इस ज़मीं की
सबसे अच्छी पाठशाला से
मुनासिब क़ीमतों पर ले रखी है
हर उपाधि संस्कृति की
न्याय की और अम्न की
तुम्हारी चीख़ में
बिफरी हुई चिंगारियों का नृत्य
इनकी ख्वाबगाहों में
अंधेरा ही अंधेरा भर गया तो ...