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"बाढ़ / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन | |रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन | ||
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22:46, 28 जुलाई 2020 के समय का अवतरण
बाढ़ आ गई है, बाढ़!
बाढ़ आ गई है, बाढ़!
वह सब नीचे बैठ गया है
जो था गरू-भरू,
भारी-भरकम,
लोह-ठोस
टन-मन
वज़नदार!
और ऊपर-ऊपर उतरा रहे हैं
किरासिन की खालीद टिन,
डालडा के डिब्बे,
पोलवाले ढोल,
डाल-डलिए- सूप,
काठ-कबाड़-कतवार!
बाढ़ आ गई है, बाढ़!
बाढ़ आ गई है, बाढ़!