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"मिज़ाज-ए-मुस्तक़िल देना शुऊर-ए-मोअतबर देना / गौहर उस्मानी" के अवतरणों में अंतर
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− | + | झुका पाए न जिस को वक़्त का तूफ़ाँ वो सर देना | |
− | + | मुझे उम्र-ए-ख़िज़र देना कि उम्र-ए-मुख़्तसर देना | |
− | + | मिरे अफ़्कार लेकिन ज़िंदा-ए-जावेद कर देना | |
− | + | जो उट्ठे सम्त-ए-माज़ी वो नज़र मेरा नहीं हासिल | |
− | + | पस-ए-दीवार-ए-मुस्तक़बिल जो देखे वो नज़र देना | |
− | + | मुजाहिद जंग के मैदाँ को जाए जिस तरह घर से | |
− | + | ये मंज़र ज़ेहन में रख कर मुझे इज़्न-ए-सफ़र देना | |
− | + | अगर इस रज़्म-गाह-ए-दहर में जीना ही है मुझ को | |
− | + | तो फिर इन यूरिशों में ज़िंदा रहने का हुनर देना | |
− | + | सिवा हो जाए जिस से अज़्मत-ए-दीदा-वरी 'गौहर' | |
− | + | नज़र देना तो यारब फिर मुझे ऐसी नज़र देना | |
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13:23, 25 अगस्त 2020 के समय का अवतरण
मिज़ाज-ए-मुस्तक़िल देना शुऊर-ए-मोअतबर देना
झुका पाए न जिस को वक़्त का तूफ़ाँ वो सर देना
मुझे उम्र-ए-ख़िज़र देना कि उम्र-ए-मुख़्तसर देना
मिरे अफ़्कार लेकिन ज़िंदा-ए-जावेद कर देना
जो उट्ठे सम्त-ए-माज़ी वो नज़र मेरा नहीं हासिल
पस-ए-दीवार-ए-मुस्तक़बिल जो देखे वो नज़र देना
मुजाहिद जंग के मैदाँ को जाए जिस तरह घर से
ये मंज़र ज़ेहन में रख कर मुझे इज़्न-ए-सफ़र देना
अगर इस रज़्म-गाह-ए-दहर में जीना ही है मुझ को
तो फिर इन यूरिशों में ज़िंदा रहने का हुनर देना
सिवा हो जाए जिस से अज़्मत-ए-दीदा-वरी 'गौहर'
नज़र देना तो यारब फिर मुझे ऐसी नज़र देना