भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तू पीठ सीधी रख ओ लड़की / शार्दुला नोगजा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=शार्दुला नोगजा | |रचनाकार=शार्दुला नोगजा | ||
+ | |अनुवादक= | ||
+ | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
− | <poem>तू पीठ सीधी रख ओ लड़की | + | {{KKCatKavita}} |
+ | <poem> | ||
+ | तू पीठ सीधी रख ओ लड़की | ||
बस आज ये सिंगार कर ले, | बस आज ये सिंगार कर ले, | ||
स्टील, लोहा, सोना, चांदी | स्टील, लोहा, सोना, चांदी | ||
पंक्ति 25: | पंक्ति 29: | ||
१० नवम्बर ०८ | १० नवम्बर ०८ | ||
− | |||
</poem> | </poem> |
14:18, 7 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण
तू पीठ सीधी रख ओ लड़की
बस आज ये सिंगार कर ले,
स्टील, लोहा, सोना, चांदी
जो मिले, ले रीढ़ मढ़ ले!
तू पीठ सीधी . . .
आज तू काजल लगा ना
अपनी कलम स्याही से भर ले,
झूमर में हैं जो दो सितारे
कर यत्न, आँखों में उतर लें!
तू पीठ सीधी . . .
गूढ़तम जो प्रश्न होगा
लौटेगा अनुत्तरित समझ ले
ना रामशलाकाप्रश्नावली ये जीवन
तू जी इसे, उत्तरित कर ले!
तू पीठ सीधी रख ओ लड़की!
१० नवम्बर ०८