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"नींद से आगे की मंज़िल / शहरयार" के अवतरणों में अंतर

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क्यों चमक उठती हैं
 
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दिल की धड़कन में तसलसुल बाक़ी नहीं रहता
 
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ऎसी बातों को समझना नहीं आसान कोई
 
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20:20, 29 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण

ख़्वाब कब टूटते हैं
आँखें किसी ख़ौफ़ की तारीकी से
क्यों चमक उठती हैं
दिल की धड़कन में तसलसुल बाक़ी नहीं रहता
ऎसी बातों को समझना नहीं आसान कोई
नींद से आगे की मंज़िल नहीं देखी तुमने।