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"एक बात / निदा फ़ाज़ली" के अवतरणों में अंतर
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18:04, 11 अक्टूबर 2020 के समय का अवतरण
उसने
अपना पैर खुजाया
अँगूठी के नग को देखा
उठ कर
ख़ाली जग को देखा
चुटकी से एक तिनका तोड़ा
चारपाई का बान मरोड़ा
भरे-पुरे घर के आँगन
कभी-कभी वह बात!
जो लब तक
आते-आते खो जाती है
कितनी सुन्दर हो जाती है!