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"कामसूत्र से कुछ सबक / महमूद दरवेश" के अवतरणों में अंतर

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'''अनुवाद : अशोक पाण्डे'''
 
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'''[[कामसुत्रको एउटा पाठ / महमुद दरविस / सुमन पोखरेल|यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ]]'''
 
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09:16, 4 दिसम्बर 2020 के समय का अवतरण

आसमानी प्याले के साथ उसका इन्तज़ार करो
ख़ुशबूदार ग़ुलाबों के बीच वसन्त की शाम उसका इन्तज़ार करो
पहाड़ चढ़ने का प्रशिक्षण पाए घोड़े के धैर्य के साथ उसका इन्तज़ार करो
किसी शहज़ादे के सौन्दर्यबोध और खुसूसियत से भरी रुचि के साथ उसका इन्तज़ार करो
बादल के सात तकियों के साथ उसका इन्तज़ार करो
उड़ती हुई निस्वानी<ref>स्त्रियोचित</ref> ख़ुशबू के रेशों के साथ उसका इन्तज़ार करो
घोड़े की पीठ पर चन्दन की मर्दाना महक के साथ उसका इन्तज़ार करो
उसका इन्तज़ार करो और तनिक भी हड़बड़ाओ मत
अगर वह देर से आती है, उसका इन्तज़ार करो
अगर वह जल्दी आती है, उसका इन्तज़ार करो
उसकी लटों में गुँथी चिड़ियों को डराओ मत
फूलों की लकदक के चरम पर उसके बैठने की प्रतीक्षा करो
उसका इन्तज़ार करो ताकि वह इस हवा को सूंघ सके जो उसके हृदय के लिए इतनी अजनबी
इन्तज़ार करो कि वह बादल-दर-बादल पैरों से अपना वस्त्र उठाए
और उसका इन्तज़ार करो
दूध में डूबते चन्द्रमा को दिखाने को उसे छज्जे पर लेकर जाओ
उसका इन्तज़ार करो और शराब से पहले उसे पानी पेश करो
उसके सीने पर सो रहे दो परिन्दों पर निगाह मत डालो
इन्तज़ार करो और हौले से उसका हाथ छुओ जब वह संगेमरमर पर प्याला रखे
इन्तज़ार करो जैसे कि तुम उस के वास्ते ओस ले कर आए हो
उससे बातें करो जैसे कोई बांसुरी बातें करेगी किसी डरे हुए वायोलिन के डरे हुए तार से
जैसे कि तुम्हें पता हो कल का दिन क्या लाने वाला है
इन्तज़ार करो और अंगूठी-दर-अंगूठी उसके वास्ते रात को चमकाओ
उसका इन्तज़ार करो
जब तक कि रात तुम से इस तरह बातें न करने लगे:
तुम दोनों के अलावा कोई भी जीवित नहीं है
सो हौले हौले उसे ले जाओ उस मौत की तरफ़ जिसे तुम इस कदर चाहते हो
और इन्तज़ार करो ।


अनुवाद : अशोक पाण्डे
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शब्दार्थ
<references/>