"पागल लड़की का प्रेम गीत / सिल्विया प्लाथ" के अवतरणों में अंतर
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10:01, 10 दिसम्बर 2020 के समय का अवतरण
मैं बन्द करती हूँ अपनी आँखें और मृत हो जाता है यह संसार
मैं उठाती हूँ अपनी पलकें और सब लौट जाता है फिर एक बार
(सोचती हूँ, तुम्हें गढ़ा हैं मैंने अपने जेहन में)
तारे होते हैं नृत्यरत आसमानी और लाल
और अनियंत्रित अन्धकार लेकर आता है रफ़्तार
मैं बन्द करती हूँ अपनी आँखें और मृत हो जाता है यह संसार
देखा है यह स्वप्न कि सम्मोहित कर मुझे तुमने लिटाया है सेज पर
और गीतों से कर मंत्रमुग्ध, चूमा है बेसुध
(सोचती हूँ, तुम्हें गढ़ा हैं मैंने अपने जेहन में)
आसमां से ईश्वर होता है निरस्त, बुझ जाती है आग नर्क की
फरिश्ते और शैतान, मिट जाता है सबका आकार
मैं बन्द करती हूँ अपनी आँखें और मृत हो जाता है यह संसार
सोचती थी लौटोगे तुम कभी, जैसा कह कर गए थे
लेकिन बढ़ती उम्र के साथ भूलती हूँ तुम्हारा नाम
(सोचती हूँ, तुम्हें गढ़ा हैं मैंने अपने जेहन में)
इससे तो बेहतर था कि मैं चुनती पपीहे का प्यार
जब आता बसन्त तो वह मुझे फिर से लेता पुकार
मैं बन्द करती हूँ अपनी आँखें और मृत हो जाता है यह संसार
( सोचती हूँ, तुम्हें गढ़ा हैं मैंने अपने जेहन में )
मूल अंग्रेज़ी से अनुवाद : रश्मि भारद्वाज
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यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ ।