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आगन्तुक / अज्ञेय
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05:53, 8 अक्टूबर 2008
<poem>
आँख ने देखा पर वाणी ने बखाना नहीं।
भवना
भावना
ने छुआ पर मन ने पहचाना नहीं।राह मैनें बहुत दिन देखी, तुम उस पर से
आये
आए
भी,
गये
गए
भी,
--कदाचित, कई बार--
पर हुआ घर आना नहीं।
अनिल जनविजय
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