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"दुनिया देखी है/ रामकिशोर दाहिया" के अवतरणों में अंतर

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थानेदार
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कहूँ क्या मेडम
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रिश्ते-नाते, लेकर दिल से
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हमने रोका-टोंका
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जब भी, माना हमको
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आँखों में हम
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रहना साँप-छुछुंदर से
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महुवे कूँच
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खड़ी कर पाए और आम
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गदराना जानें
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रस की गंध
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लिए हम चहके उससे
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कब बतियाना जानें ?
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खट्टे-मीठे
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अनुभव जीकर
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हरदम रहे चुकंदर से
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चार-मुकइया
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तेंदू-खाए बेर-करौंदा
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जस का तस है
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हमें पुरानी
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खोली अपनी, लगती
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अब भी खस-खस है
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नदिया-नाले
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नहीं रिझाते
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नाते गहर समन्दर से
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-रामकिशोर दाहिया
 
-रामकिशोर दाहिया
  
 
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20:25, 21 मई 2021 के समय का अवतरण

 
       
थानेदार
कहूँ क्या मेडम
दुनिया देखी अन्दर से

चरमर चूँ थे
रिश्ते-नाते, लेकर दिल से
जोड़ा तुमने
हमने रोका-टोंका
जब भी, माना हमको
रोड़ा तुमने
आँखों में हम
नाचे-फुदके
रहना साँप-छुछुंदर से
 
महुवे कूँच
खड़ी कर पाए और आम
गदराना जानें
रस की गंध
लिए हम चहके उससे
कब बतियाना जानें ?
खट्टे-मीठे
अनुभव जीकर
हरदम रहे चुकंदर से

चार-मुकइया
तेंदू-खाए बेर-करौंदा
जस का तस है
हमें पुरानी
खोली अपनी, लगती
अब भी खस-खस है
नदिया-नाले
नहीं रिझाते
नाते गहर समन्दर से
             
            
-रामकिशोर दाहिया