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"लैपटॉप की दुनिया/ रामकिशोर दाहिया" के अवतरणों में अंतर
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+ | रखते लेखे | ||
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+ | सबके चित की | ||
+ | चोरी करता | ||
+ | काश्मीर भी | ||
+ | आफत झेले | ||
+ | आँसे पीर | ||
+ | हमारी फिर भी | ||
+ | जीता-हारा करता है | ||
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+ | डिजिटल भारत | ||
+ | लगे बनाने | ||
+ | गाँव वहीं पर | ||
+ | खड़े हुए हैं | ||
+ | लाचारी का | ||
+ | खुला निमंत्रण | ||
+ | देकर आगे बढ़े हुए हैं | ||
− | + | रोके रुका समय | |
+ | कब किससे | ||
+ | थ्री फोर जी की | ||
+ | दुनिया में | ||
+ | पुरखों वाले | ||
+ | आदिम युग के | ||
+ | चित्र संवारा करता है | ||
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-रामकिशोर दाहिया | -रामकिशोर दाहिया | ||
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11:06, 1 जून 2021 के समय का अवतरण
दो के दूने चार
नहीं होने के भाई
लिये पुराना
व्यर्थ पहाड़ा
रट्टा मारा करता है
पेनड्राइव की
धरती पर हम
लैपटॉप की
दुनिया देखे
मोबाइल को
पीछे छोड़े
कम्प्यूटर पर
रखते लेखे
सबके चित की
चोरी करता
काश्मीर भी
आफत झेले
आँसे पीर
हमारी फिर भी
जीता-हारा करता है
डिजिटल भारत
लगे बनाने
गाँव वहीं पर
खड़े हुए हैं
लाचारी का
खुला निमंत्रण
देकर आगे बढ़े हुए हैं
रोके रुका समय
कब किससे
थ्री फोर जी की
दुनिया में
पुरखों वाले
आदिम युग के
चित्र संवारा करता है
-रामकिशोर दाहिया