"मेरा अन्तिम संस्कार / नाज़िम हिक़मत / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर
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शायद उस समय | शायद उस समय | ||
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चमक रहा होगा सूरज | चमक रहा होगा सूरज | ||
और जमा हो जाएँगे वहाँ | और जमा हो जाएँगे वहाँ | ||
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शुभ शगुन की शक़्ल में । | शुभ शगुन की शक़्ल में । | ||
− | अगर | + | अगर बैण्ड नहीं बजेगा मेरे जनाजे में |
तो भी बच्चे तो आएँगे ही | तो भी बच्चे तो आएँगे ही | ||
उन्हें भला लगता है देखना | उन्हें भला लगता है देखना | ||
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वहाँ सूख रहे गीले कपड़ों के साथ । | वहाँ सूख रहे गीले कपड़ों के साथ । | ||
− | मैं इस | + | मैं इस अहाते में रहता था |
और था बेहद-बेहद ख़ुश | और था बेहद-बेहद ख़ुश | ||
− | मेरे | + | मेरे अहाते में रहने वाले लोगो ! |
तुम्हारी ज़िन्दगी लम्बी हो, ख़ूब लम्बी । | तुम्हारी ज़िन्दगी लम्बी हो, ख़ूब लम्बी । | ||
1963 | 1963 |
13:23, 4 जून 2021 का अवतरण
क्या हमारे अहाते से ही उठेगा
मेरा जनाजा ?
तीसरी मंज़िल पर रहता हूँ मैं
नीचे कैसे उतारेंगे मुझे?
लिफ़्ट में तो ताबूत घुसेगा नहीं
सीढ़ियाँ भी बहुत सँकरी है
शायद उस समय
अहाते में लगे पत्थरों पर
चमक रहा होगा सूरज
और जमा हो जाएँगे वहाँ
ढेर सारे कबूतर
और हो सकता है कि हो रहा हो हिमपात
बच्चों की चीख़-पुकार के बीच
यह भी हो सकता है कि उस समय हो रही हो बारिश
गीली हों सारी सड़कें
और आँगन में पड़े सारे कूड़ेदान भी
बारिश से भीग चुके होंगे
अगर ट्रक में रखकर ले जाएँगे जनाजा
तो खुला होगा मेरा चेहरा
जैसे सभी को ले जाते हैं ट्रक में
कबूतर टपका देगा मेरे माथे पर कुछ
शुभ शगुन की शक़्ल में ।
अगर बैण्ड नहीं बजेगा मेरे जनाजे में
तो भी बच्चे तो आएँगे ही
उन्हें भला लगता है देखना
लोगों का अन्तिम संस्कार ।
हमारी रसोई की खिड़की झाँककर देखेगी मुझे
और देर तक देखती रहेगी उस दिशा में
जिस तरफ़ मुझे ले जाएँगे
मेरे घर का छज्जा मुझे हाथ हिलाकर विदा देगा
वहाँ सूख रहे गीले कपड़ों के साथ ।
मैं इस अहाते में रहता था
और था बेहद-बेहद ख़ुश
मेरे अहाते में रहने वाले लोगो !
तुम्हारी ज़िन्दगी लम्बी हो, ख़ूब लम्बी ।
1963
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय