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"घड़ीसाज़ / अशोक शाह" के अवतरणों में अंतर

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फिर घूम गई है
  
  
 
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15:00, 26 जून 2021 के समय का अवतरण

1
मेरा समय ठीक चल नहीं रहा था
अपनी घड़ी दे आया
मरम्मत के लिए

घड़ीसाज ने दो महीने से
लौटाया नहीं

अब समय बन्द है
और तबसे हिला तक नहीं हूँ

मुझे घड़ीसाज़ से
बहुत उम्मीद है

2
मरम्म्त के बाद घड़ी
मिल गयी है
घड़ीसाज़ ने कर दी है
लगभग नई

लेकिन समय वही
पुराना चलने लगा है
विचारों से सने पल वे ही
घड़ी भर आगे बढ़े नहीं

सरी उम्मीदें सूखके
दुःख हो गईं हैं
लगता है धरती अपनी धूरी पर
फिर घूम गई है