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20:34, 3 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण

अंधेरे घने सन्नाटे में
डरकर मैंने उसे पुकारा
रात के क्षितिज से
किसी का कोई
उत्तर न आया

मैंने शक किया-
वह नहीं है
अगले ही क्षण सिहरा
बुदबुदाया- वह है

है- और कहीं से एक चिड़िया
बोल उठी।