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"सलीका / बबली गुज्जर" के अवतरणों में अंतर
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कसकर गले लगे बालक को, उसकी माँ से | कसकर गले लगे बालक को, उसकी माँ से | ||
आहिस्ता-आहिस्ता ही किया जाता है अलग | आहिस्ता-आहिस्ता ही किया जाता है अलग | ||
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भूख से अधीर नए- नए जन्में बछडे के मुख से | भूख से अधीर नए- नए जन्में बछडे के मुख से | ||
हौले- हौले से ही छुड़ाया जाता है, गाय का थन | हौले- हौले से ही छुड़ाया जाता है, गाय का थन | ||
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मेरे दोस्त! | मेरे दोस्त! | ||
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क्या तुम इतनी भी दुनियादारी नहीं जानते | क्या तुम इतनी भी दुनियादारी नहीं जानते | ||
कि बिछड़कर जाने का भी तो, | कि बिछड़कर जाने का भी तो, | ||
....कोई सलीका होता है! | ....कोई सलीका होता है! | ||
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11:09, 4 जून 2022 के समय का अवतरण
बूँद -बूँद ही बरसाता है पानी, कपास- सा बादल
पोर- पोर कर ही निकालतें हैं, डिबिया से काजल
बरस दर बरस ही घटती है, आँखों की रोशनी
मजबूरी में ही बेचते हैं, बाबा गाँव की जमीं
कसकर गले लगे बालक को, उसकी माँ से
आहिस्ता-आहिस्ता ही किया जाता है अलग
भूख से अधीर नए- नए जन्में बछडे के मुख से
हौले- हौले से ही छुड़ाया जाता है, गाय का थन
मेरे दोस्त!
क्या तुम इतनी भी दुनियादारी नहीं जानते
कि बिछड़कर जाने का भी तो,
....कोई सलीका होता है!