भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रिश्ते-7 / निर्मल विक्रम" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निर्मल विक्रम |संग्रह= }} <Poem> भटकन-तलाश-प्यास अनबु...)
 
(कोई अंतर नहीं)

21:23, 6 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण

भटकन-तलाश-प्यास
अनबुझी
आँखों में तैरते सपने
न टूटने वाली अंधी आशा
मन में उलझन
सोचों की भूलभुलैया
आँखों में चुभती है
दिन-रात बेतुकी चाहत
समय नहीं, कोई बेला आने-न आने की
प्रतीक्षा लम्बी अनबूझी
सुख नहीं, संतोष नहीं
जीना बोझ, कोई आस नहीं
साँसों के तन्तु जोड़ते हैं
वो रिश्ते
जिन का कोई नाम
कोई अस्तित्व नहीं।

मूल डोगरी से अनुवाद : पद्मा सचदेव