भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कविता रौ मूंन / चंद्रप्रकाश देवल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चंद्रप्रकाश देवल |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
 
{{KKCatRajasthaniRachna}}
 
{{KKCatRajasthaniRachna}}
 
<poem>
 
<poem>
थूं सिंझ्या
+
म्हैं पलकां बिछावूं
म्हैं सूरज
+
जित्तै-जित्तै औ मुहावरौ
हांण-फांण न्हाटतौ पूगूं थारी डेहळी
+
कोस सूं निकळ बूहौ जावै
 +
म्हैं सांयत गुणमुणावूं
 +
जित्तै-जित्तै अेक जुद्ध
 +
कमीज री बांह सूं निकळ
 +
लड़-भिड़ घायल कर जावै
  
घणौ ई मन कटै
+
म्हैं अरदास में माथौ निंवावूं
थोड़ौ ऊभ जावूं
+
जित्तै-जित्तै अेक वरदान
पण करूं कांईं
+
भींत माथला देवां रौ पाठौ फड़फड़ाय
थूं आवै-जावै जित्तै डूब जावूूं।
+
 
 +
म्हैं हेलौ पाड़ण थावस उचारूं
 +
जित्तै-जित्तै इण सबद सूं निकळ
 +
अेक अरथ बेगौसीक
 +
म्हनै अणूंतौ डिगपच कर जावै  
 +
सेवट कविता नै सिंवरण री मन में जचावूं
 +
जित्तै-जित्तै वौ जिकौ उणरौ मूंन व्है
 +
भक्क देणी रो चवड़ै व्है जावै।
 
</poem>
 
</poem>

13:51, 17 जुलाई 2022 के समय का अवतरण

म्हैं पलकां बिछावूं
जित्तै-जित्तै औ मुहावरौ
कोस सूं निकळ बूहौ जावै
म्हैं सांयत गुणमुणावूं
जित्तै-जित्तै अेक जुद्ध
कमीज री बांह सूं निकळ
लड़-भिड़ घायल कर जावै

म्हैं अरदास में माथौ निंवावूं
जित्तै-जित्तै अेक वरदान
भींत माथला देवां रौ पाठौ फड़फड़ाय

म्हैं हेलौ पाड़ण थावस उचारूं
जित्तै-जित्तै इण सबद सूं निकळ
अेक अरथ बेगौसीक
म्हनै अणूंतौ डिगपच कर जावै
सेवट कविता नै सिंवरण री मन में जचावूं
जित्तै-जित्तै वौ जिकौ उणरौ मूंन व्है
भक्क देणी रो चवड़ै व्है जावै।