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01:26, 10 नवम्बर 2008 का अवतरण

याद : सिहरन : उड़ती सारसों की जोड़ी
याद : उमस : एकाएक घ्हिरे बादल में
कौंध जगमगा गई।
सारसों की ओट बादल
बादलों में सारसों की जोड़ी ओझल,
याद की ओट याद की ओट याद।
केवल नभ की गहराई बढ़ गई थोड़ी।
कैसे कहूँ की किसकी याद आई?
चाहे तड़पा गई।