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01:33, 10 नवम्बर 2008 का अवतरण
कितनी जल्दी
तुम उझकीं
झिझकीं
ओट हो गईं, नन्दा !
उतने ही में बीन ले गईं
धूप-कुन्दन की
अन्तिम कनिका
देवदारु के तनों के बीच
फिर तन गई
धुन्ध की झीनी यवनिका।