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तुम्हारी तरह मैं भी | तुम्हारी तरह मैं भी | ||
− | प्रेम करता हूँ प्रेम से, | + | प्रेम करता हूँ प्रेम से, ज़िन्दगी, |
− | + | चीज़ों की मोहक सुगन्ध, और जनवरी | |
− | के दिनों के आसमानी रंग के भूदृश्यों से | + | के दिनों के आसमानी रंग के भूदृश्यों से । |
− | और मेरा भी | + | और मेरा भी ख़ून खौल उठता है |
और मैं हंसता हूँ आँखों से | और मैं हंसता हूँ आँखों से | ||
− | जो जानती रही हैं | + | जो जानती रही हैं अश्रुग्रन्थियों को । |
− | मेरा मानना है कि दुनिया | + | मेरा मानना है कि दुनिया ख़ूबसूरत है |
− | और रोटी की तरह कविता भी सबके लिए है | + | और रोटी की तरह कविता भी सबके लिए है । |
− | + | और मेरी नसें सिर्फ़ मेरे भीतर नहीं | |
− | बल्कि उन लोगों के एक जैसे | + | बल्कि उन लोगों के एक जैसे ख़ून तक भी फैली हैं |
− | जो लड़ते हैं | + | जो लड़ते हैं ज़िन्दगी के लिए, |
प्रेम, | प्रेम, | ||
− | छोटी-छोटी | + | छोटी-छोटी चीज़ों, |
प्राकृतिक भूदृश्यों और रोटी के लिए, | प्राकृतिक भूदृश्यों और रोटी के लिए, | ||
− | जो कविता है हर किसी की | + | जो कविता है हर किसी की । |
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'''अनुवाद मनोज पटेल''' | '''अनुवाद मनोज पटेल''' | ||
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00:42, 5 नवम्बर 2022 का अवतरण
तुम्हारी तरह मैं भी
प्रेम करता हूँ प्रेम से, ज़िन्दगी,
चीज़ों की मोहक सुगन्ध, और जनवरी
के दिनों के आसमानी रंग के भूदृश्यों से ।
और मेरा भी ख़ून खौल उठता है
और मैं हंसता हूँ आँखों से
जो जानती रही हैं अश्रुग्रन्थियों को ।
मेरा मानना है कि दुनिया ख़ूबसूरत है
और रोटी की तरह कविता भी सबके लिए है ।
और मेरी नसें सिर्फ़ मेरे भीतर नहीं
बल्कि उन लोगों के एक जैसे ख़ून तक भी फैली हैं
जो लड़ते हैं ज़िन्दगी के लिए,
प्रेम,
छोटी-छोटी चीज़ों,
प्राकृतिक भूदृश्यों और रोटी के लिए,
जो कविता है हर किसी की ।
अनुवाद मनोज पटेल