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"चारण होगा जो तुझको सजदा करता / डी .एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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किस कवि,लेखक को इतनी दौलत मिलती
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कवि के घर मंत्री जी स्वयं पधारे कल
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हाथों में लेकर फूलों का गुलदस्ता
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मुस्काकर  मंत्री जी , कवि से  फ़रमाये
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मुझ पर भी तो कुछ कविता -सविता लिखता
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सारी रात नहीं आयी कल नींद मुझे
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बाज़ारों में  कवि, इतना सस्ता बिकता
 
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15:06, 15 दिसम्बर 2022 के समय का अवतरण

चारण होगा जो तुझको सजदा करता
कवि को कोई रत्ती भर न झुका सकता

सोचो उस कवि की कविता कैसी होगी
दरबारों में जाकर जो कविता पढ़ता

किस कवि,लेखक को इतनी दौलत मिलती
शब्दों का वो कोई व्यापारी लगता

कवि के घर मंत्री जी स्वयं पधारे कल
हाथों में लेकर फूलों का गुलदस्ता

मुस्काकर मंत्री जी , कवि से फ़रमाये
मुझ पर भी तो कुछ कविता -सविता लिखता

सारी रात नहीं आयी कल नींद मुझे
बाज़ारों में कवि, इतना सस्ता बिकता