भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दास / पीयूष दईया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पीयूष दईया |संग्रह= }} <Poem> चालाक चाल में चल पड़ी ची...)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:01, 11 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण

चालाक चाल में चल पड़ी चील
न चुल्लू मिलता न चित्तचोर
--चिन्ह बचे रह गए पर
चरणदास के--
चारों और चिलकाते
चाल को

चलते-चलते
चलता करता दास
चरण को

चिलकोंसे
चील
चिरन्तन